संगत
( Sangat )
अधरों पर मुस्कान हो,
सुर सुरीली तान हो,
वीणा की झंकार बजे,
गीत जरा गाइए।
नेह की बरसात हो,
सुहानी सी प्रभात हो,
अपनों का साथ मिले,
जरा मुस्कुराइए।
जीवन में बहार हो,
मधुर सा संसार हो,
मित्रों की संगत मिले,
खुशियां मनाइए।
पल-पल खुशी मिले,
बने ऐसे सिलसिले,
यश वैभव कीर्ति हो,
कदम बढ़ाइए।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )