बेचारा | Bechar Bhojpuri Kavita
बेचारा
( Bechara )
जब से गरीबी के चपेट में आइल
भूख, दर्द, इच्छा सब कुछ मराइल
खेलें कुदे के उम्र में
जूठा थाली सबके मजाइल
का गलती, केके कइलक बुराई
जे इ कठीन घड़ी बा आइल
ना देह भर के पावेला जामा
ठंडा, गमी, बरसात सब आधे पे कटाइल
ठिठुर-ठिठुर गावेला गाना
जल्दी-जलदी बढावेला खाना
हस-हस के मेज साफ करेला
आंख से फिर भी, आंसु ना गिरे ला
गमी में टप-टप गिरे ला पसीना
ना पेड़, ना पंखा के हऽ दिवाना
चुलहा के सामने हऽ ओके ठिकाना
अ्इसन बा ई बेदर्दि जवाना
बरसात में जब बरसेला पानी
आदेश सुन सुन बढेला परेसानि
चाह के भी थोड़ा ना कर पावे मनमानी
फिर भी आंख में ना आवे देवे पानी
ना माई बाप के प्रेम के जनलक
ना माई के अचरा में समय बितइलक
दोस्त यार सबके उ भुलइलक
केतना बड़का त्याग उ कइलक
किताब कोपी के ना भइल ज्ञान
के आपन, के पराया ना कवनो पहचान
जात-पात नाम के ना कवनो अपमान
सब के देखें एक समान
कोमलता के बहुत बड़हन शिखर हऽ
नाजुकता के मिठा निहर स्वर हऽ
दिल रहे हमेशा गंगा जइसन
पावन पवित्र अउर सुन्दर पवन हऽ
एगो बोलाहट पे दउडल आवे
चुप चाप होके सुची बनावे
हाथ में ले के खाना आवे
सबके थुथून पे ख़ुशी बढ़वे
गमछा ले कंधा पे धावे
आई मालिक, कह सबके बोलावे
मालिक से ओरहन भी पावे
लेकिन जीभ पे एको शब्द ना आवे
सुनें ला ओरहन तबो करेला सलाम
ना कबो, केहु के करेला अपमान
उपर वाला के नियति के समझे वरदान
मुड़ी निहुरा सबके करेला प्रणाम
बचल खुचल खाना उ खाला
धरती पे गमछा रख के पटाला
ना कवनो गद्दा, ना रजाई खोजाला
सुते के जब समय आ जाला
फिर निंद में जइसे करेला प्रवेश
तले आजाला उठे के संदेश
झट हाथ धो काम पे जाला
का जाने कब उठे ला नहाला
धीरे-धीरे समय बितेला
व्याकुल मन अकेला लागेला
जिवन मे एगो साथ खोजाला
पर केहु ना आपन जइसन भेटाला
चारों तरफ बा पइसा के मारा मारी
गरीब दुखीया के बा बहुत लाचारी
ना केहु देवे ला दुख के साथ
ना पइसा भइल, सबसे बड़का हऽ अपराध
पइसा रहे त यार भेटाला
ना त ना मिले विवाह के माला
हिम्मत भी एक सिमा पे टुट जाला
एक समय पे जान छुट जाला
इ सब जानेला उ बात
मन मचलेला ओकर दिन रात
मगर बा उ समय के मारा
एला सब कुछ बा दुनिया हारल
दुख सुख सब एक समान बुझाना
ना कवनो परब ना त्योहार बुझाना
कब दिन कब रात हो जाला
सोचे के समय ना भेटा ला
कब, कहवा केकरा से कहें दिल के बात
सोच सोच घुटेला दिन रात
देख दरद, कलेजा हाथ मे आये
हार पाछ फिर काम में जुट जाते