मोहब्बत नाजुक सा एहसास | Kavita Mohabbat
मोहब्बत नाजुक सा एहसास
( Mohabbat nazuk sa ehsaas )
मोहब्बत नाजुक सा एहसास
बेपनाह इश्क है ये मेरे यार
दर्द भरी दास्तां कह दो या
दिलों का उमड़ता सा प्यार
धड़कनों से होकर उतरता है
दिल की गहराइयों को जाता
तार दिलों के जुड़े होते अटूट
हर कोई शिद्दत से निभाता
दिलवालों की बस्ती में इश्क
हसी वादियो में प्रीत पलती है
प्यार के तराने गूंजते यहां पे
प्रेम की पावन ज्योत जलती है
दीवानों का सुखचैन है प्यार
बहती जहां प्रेम की रसधार
मोहब्बतें गीत नये रचती है
इश्क में महफिले गुलजार
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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