जवानी का जोश | Kavita Jawani ka Josh
जवानी का जोश
( Jawani ka josh )
ये तरुणाई ये भरी जवानी चार दिन की चांदनी।
ये रुसवाई ये बेवफाई मन गांठ कभी ना बांधनी।
समरसता की बहा गंगा जोश जज्बा उमंग भरो।
उठो देश के नौजवानों सब राष्ट्रप्रेम हुंकार भरो।
जवानी का जोश दिखाओ शौर्य पराक्रम शूरवीर।
महारथियों में महारथी हो रण कौशल हो रणधीर।
हौसलों से तूफानों का रुख आंधियों का मोड़ दो।
हर बाधा मुश्किलों को पुष्प सद्भावों के छोड़ दो।
प्रेम के मोती लुटा कर ऊंची उड़ चलो रे उड़ान।
कुछ ऐसा कर दिखाओ दुनिया हो जाए हैरान।
देशभक्तों दीवानो सारे बढ़े चलो जवानो तुम।
उन्नति की डगर पर देश के अरमान हो तुम।
डोर संभालो हाथों में जवानों बागडोर देश की।
कर लो तैयारी पूरी तुम नवजीवन विशेष की।
जवानी का जोश भरकर हंसो और मुस्कुराओ।
वक्त का मारा हो कोई थामो उन्हें और उठाओ।
भलाई का काम करके जग नाम रोशन कर जाना।
शिक्षा संस्कार पाकर खुशबू से आंगन महकाना।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )