किसानों की उम्मीद | Poem in Hindi on Kisan
किसानों की उम्मीद
( Kisano ki umeed )
प्रीति में चूक ना इनके अब,
उम्मीद का दीप जले कब तक
जीवन बरसे तरसे जीवन,
नभ में ना मेघ घटे अब तक
हे नाथ अनाथ करहु ना अब,
जीवन तो शेष रहे जब तक
जल ही जल है जल थल नभ में,
हम फिर भी तड़प रहें अब तक।
अमृत सा बूंद तू जल्द बरस,
अब घरती चटक रही चट चट
टूटी उम्मीद न आस रही ,
अब टूटी सांस चले कब तक
घनश्याम घटा घनघोर बरस,
है तुझपे आस लगी अब तक
जड़ चेतन शून्य चले बन सब,
अब नस-नस सूख चले कब तक।
सबकी अपनी है सीमा फिर,
हद है उम्मीद करुं कब तक
जब तक सांसे तब तक आशा,
उम्मीदें पकड़ चलूं कब तक
जीवन जहां उम्मीदें वहीं ,
अब लेकर साथ चलूं कब तक
पानी अब पानी राख मेरा ,
पानी बिन फिरुं कहां कब तक।
धरती धर धीरज छोड़ चली,
मिटृटी मानों रेत बने सब
धीरज छोड़ चले पशु पक्षी,
तड़प रहें है जन जीवन सब
चौड़े पत्ते कांटे होकर ,
जीवन से मुख ,मोड़ चलें अब
हे नाथ हमें भी ध्यान धरो,
कर दया दृष्टि कष्ट हरें अब।
रचनाकार –रामबृक्ष बहादुरपुरी