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जिंदगी जलेबी है जी | Kavita on Zindagi

जिंदगी जलेबी है जी

( Zindagi jalebi hai ji )

 

जिंदगी जलेबी है जी मीठी-मीठी सी रसदार।
थोड़ा थोड़ा प्यार है जी थोड़ी थोड़ी तकरार।

गोल-गोल लच्छे जैसी जिंदगी है लच्छेदार।
रसभरी जलेबी सी टपकती है रस की धार।

गांठ गठीली भी है ये जिंदगी रसीली भी है।
जलेबी सी नरम नरम अश्कों से गीली भी है।

मन वो ललचा देती मुंह लार टपका लेती है।
जिंदगी भी कभी-कभी समां महका देती है।

गरम गरम जलेबी सी सबको भाती जिंदगी।
नजारे नित बदलती हमको लुभाती जिंदगी

जलेबी जब इतराती है कितने बलखाती है।
मोड़ मोड़ पर जिंदगी भी नखरे दिखाती है।

जलेबी जहां भी जाए मक्खियां भिनभिनाए।
हौसलों से मक्खियों को यारों हम दूर भगाएं।

रिश्तो में प्यार भरो जिंदगी को रसदार करो।
जलेबी सा परचम पाओ दिलों पर राज करो।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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