मुहब्बत न जाने | Muhabbat na Jaane
मुहब्बत न जाने
( Muhabbat na jaane )
करेगा मुहब्बत शराफत न जाने
परस्तिश इबादत अकीदत न जाने।
मिरा दिल चुराया उसी आदमी की
चली क्यूं सदा बादशाहत न जाने।
किया नाम दिल है उसी के मगर क्यूं
वही एक अपनी वसीयत न जाने।
नज़र आ गया ईद का चांद लेकिन
दिखे कब तलक उस कि सूरत न जाने।
जुबां खोल कर सच ज़रा कह दिया है
हुई क्यूं बड़ी है शिकायत न जाने।
उसी की खिलाफ़त उसी से अदावत
उसी से हुई क्यूं मुहब्बत न जाने
कई दिन हुए याद वो आ रहा है
नहीं दिल सुने क्यूं नसीहत न जाने।
ज़रा बेखुदी में सरकने से चिलमन
हुई क्या शहर में कयामत न जाने।
नयन दिल लगाना नहीं काम आसां
बिगड़ने लगी क्यूं तबीयत न जाने।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )