सोने को कुंदन बनाना बाकी है | Baki hai
सोने को कुंदन बनाना बाकी है
( Sone ko kundan banana baki hai )
दिलों में अभी जगह बनाना बाकी है।
भाग्य हमको भी आजमाना बाकी है।
सुदर्शन शब्द स्वर्णिम हो तेरे भले ही।
तपा सोने को कुंदन बनाना बाकी है।
अभी तो रिश्तो को निभाना बाकी है।
दिलों में प्यारे फूल खिलाना बाकी है।
मुस्कानों के मोती अधरों पे सजा लो।
महफिल में इक तेरा आना बाकी है।
बहुत कुछ करके दिखाना बाकी है।
आसमां में परचम लहराना बाकी है।
भर लो हौसलों की उड़ानें तुम अभी।
दुनिया में यश कीर्ति पाना बाकी है।
शब्दों को गीतों में ढल जाना बाकी है।
सुर लय तान संगीत सुनाना बाकी है।
बज उठे दिल के तारों से झंकार प्यारी।
बस अधरो से तेरा मुस्कुराना बाकी है।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )