जीवन आदर्श | Jeevan Adarsh
जीवन आदर्श
( Jeevan adarsh )

( Jeevan adarsh )
तपन ( Tapan ) कितनी प्यारी सी तपन भरी थी उनकी मुस्कान में फरिश्ता सी लगने लगी हमें भीड़ भरे जहान में मदद को बढ़ा दिए हाथ साथ दे दिया जीवन में उनके प्यार की तपन से खिल गए फूल चमन में महकी फुलवारी सारी प्रीत भरी बयार बहने लगी सद्भावों की…
हाथों से छीनों न अमराइयाँ सौदा परिंदों का हम न करेंगे, साँसों की रफ्तार घटने न देंगें। हाथों से छीनों न अमराइयों को, पर्यावरण बिनु कैसे जियेंगे? रोते हैं पेड़ देखो कुल्हाड़ियों से, हम सब बँधे उसकी साँसों की डोर से। हरियाली का प्याला कैसे पिएंगे, पर्यावरण बिनु कैसे जियेंगे? सौदा परिंदों का… बित्ताभर…
दशहरा 2024 कब तक जलाओगे मुझे ?युग बीत गयेकितने कल्प गये बीतरखता हूँदशकंठहै मेरे दशशीश..आँखे घूमती सब दिशाओं मेंहाथ रखता मैं बीसो बीस…शब्द जो निकला मुँह सेभिक्षाम दे माई…फीर देखी मैने माँ सीता मेंजगदजननी की प्रीतमर्यादा की निभाई रीतचाहता तो मैं बदल जाताशब्द जाता भूलमन के वचन को बनाता धूल…मैंने बचाया जगदजननी का मानस्वयं से…
दशानन क्यों नहीं मरता है ( Dashanan kyon nahin marta hai ) घर-घर में मंथरा बैठी रावण घट घट बसता है महंगाई सुरसा सी हो गई आदमी अब सस्ता है ना लक्ष्मण सा भाई हनुमान सा भक्त कहां मर्यादा पुरुषोत्तम फिर से आप आओ यहां कलयुग में मर्यादा ढह गई मन में…
उरी विजय की गूंज जंगलों में गूंजे थे धमाके,भारत की सेना ने किया था हमला,नियति की दिशा बदल दी थी,सर्जिकल स्ट्राइक का था ऐलान। शेर की तरह ललकारते हुए,हमने दुश्मन को घेरा था,उरी की धरती पर निशान छोड़ा,शौर्य का इतिहास फिर से लिखा था। हमारे दिलों में जज्बा था,आत्मविश्वास से भरे थे हम,किसी भी चुनौती…
बेचना है तो नभ को बेच धरा को रहने दे बेचना है तो नभ को बेच धरा को रहने दे नदी को रहने दे और किनारा को रहने दे मछुआरे मछलियांँ पकड़ कर जी लेते हैं रूखी – सूखी रोटियांँ सहारा को रहने दे सड़क पर दौड़ लेती है तेरी नयी गाड़ियांँ एक मेरी…
तपन ( Tapan ) कितनी प्यारी सी तपन भरी थी उनकी मुस्कान में फरिश्ता सी लगने लगी हमें भीड़ भरे जहान में मदद को बढ़ा दिए हाथ साथ दे दिया जीवन में उनके प्यार की तपन से खिल गए फूल चमन में महकी फुलवारी सारी प्रीत भरी बयार बहने लगी सद्भावों की…
हाथों से छीनों न अमराइयाँ सौदा परिंदों का हम न करेंगे, साँसों की रफ्तार घटने न देंगें। हाथों से छीनों न अमराइयों को, पर्यावरण बिनु कैसे जियेंगे? रोते हैं पेड़ देखो कुल्हाड़ियों से, हम सब बँधे उसकी साँसों की डोर से। हरियाली का प्याला कैसे पिएंगे, पर्यावरण बिनु कैसे जियेंगे? सौदा परिंदों का… बित्ताभर…
दशहरा 2024 कब तक जलाओगे मुझे ?युग बीत गयेकितने कल्प गये बीतरखता हूँदशकंठहै मेरे दशशीश..आँखे घूमती सब दिशाओं मेंहाथ रखता मैं बीसो बीस…शब्द जो निकला मुँह सेभिक्षाम दे माई…फीर देखी मैने माँ सीता मेंजगदजननी की प्रीतमर्यादा की निभाई रीतचाहता तो मैं बदल जाताशब्द जाता भूलमन के वचन को बनाता धूल…मैंने बचाया जगदजननी का मानस्वयं से…
दशानन क्यों नहीं मरता है ( Dashanan kyon nahin marta hai ) घर-घर में मंथरा बैठी रावण घट घट बसता है महंगाई सुरसा सी हो गई आदमी अब सस्ता है ना लक्ष्मण सा भाई हनुमान सा भक्त कहां मर्यादा पुरुषोत्तम फिर से आप आओ यहां कलयुग में मर्यादा ढह गई मन में…
उरी विजय की गूंज जंगलों में गूंजे थे धमाके,भारत की सेना ने किया था हमला,नियति की दिशा बदल दी थी,सर्जिकल स्ट्राइक का था ऐलान। शेर की तरह ललकारते हुए,हमने दुश्मन को घेरा था,उरी की धरती पर निशान छोड़ा,शौर्य का इतिहास फिर से लिखा था। हमारे दिलों में जज्बा था,आत्मविश्वास से भरे थे हम,किसी भी चुनौती…
बेचना है तो नभ को बेच धरा को रहने दे बेचना है तो नभ को बेच धरा को रहने दे नदी को रहने दे और किनारा को रहने दे मछुआरे मछलियांँ पकड़ कर जी लेते हैं रूखी – सूखी रोटियांँ सहारा को रहने दे सड़क पर दौड़ लेती है तेरी नयी गाड़ियांँ एक मेरी…
तपन ( Tapan ) कितनी प्यारी सी तपन भरी थी उनकी मुस्कान में फरिश्ता सी लगने लगी हमें भीड़ भरे जहान में मदद को बढ़ा दिए हाथ साथ दे दिया जीवन में उनके प्यार की तपन से खिल गए फूल चमन में महकी फुलवारी सारी प्रीत भरी बयार बहने लगी सद्भावों की…
हाथों से छीनों न अमराइयाँ सौदा परिंदों का हम न करेंगे, साँसों की रफ्तार घटने न देंगें। हाथों से छीनों न अमराइयों को, पर्यावरण बिनु कैसे जियेंगे? रोते हैं पेड़ देखो कुल्हाड़ियों से, हम सब बँधे उसकी साँसों की डोर से। हरियाली का प्याला कैसे पिएंगे, पर्यावरण बिनु कैसे जियेंगे? सौदा परिंदों का… बित्ताभर…
दशहरा 2024 कब तक जलाओगे मुझे ?युग बीत गयेकितने कल्प गये बीतरखता हूँदशकंठहै मेरे दशशीश..आँखे घूमती सब दिशाओं मेंहाथ रखता मैं बीसो बीस…शब्द जो निकला मुँह सेभिक्षाम दे माई…फीर देखी मैने माँ सीता मेंजगदजननी की प्रीतमर्यादा की निभाई रीतचाहता तो मैं बदल जाताशब्द जाता भूलमन के वचन को बनाता धूल…मैंने बचाया जगदजननी का मानस्वयं से…
दशानन क्यों नहीं मरता है ( Dashanan kyon nahin marta hai ) घर-घर में मंथरा बैठी रावण घट घट बसता है महंगाई सुरसा सी हो गई आदमी अब सस्ता है ना लक्ष्मण सा भाई हनुमान सा भक्त कहां मर्यादा पुरुषोत्तम फिर से आप आओ यहां कलयुग में मर्यादा ढह गई मन में…
उरी विजय की गूंज जंगलों में गूंजे थे धमाके,भारत की सेना ने किया था हमला,नियति की दिशा बदल दी थी,सर्जिकल स्ट्राइक का था ऐलान। शेर की तरह ललकारते हुए,हमने दुश्मन को घेरा था,उरी की धरती पर निशान छोड़ा,शौर्य का इतिहास फिर से लिखा था। हमारे दिलों में जज्बा था,आत्मविश्वास से भरे थे हम,किसी भी चुनौती…
बेचना है तो नभ को बेच धरा को रहने दे बेचना है तो नभ को बेच धरा को रहने दे नदी को रहने दे और किनारा को रहने दे मछुआरे मछलियांँ पकड़ कर जी लेते हैं रूखी – सूखी रोटियांँ सहारा को रहने दे सड़क पर दौड़ लेती है तेरी नयी गाड़ियांँ एक मेरी…