हमसफ़र | Humsafar
हमसफ़र
( Humsafar )
आज़ लिखनी है ग़ज़ल बस आप पर ओ हमसफ़र
आप ही के साथ गुज़रे शब सहर ओ हमसफर।
ना मिले गर दो जहां तो हर्ज़ है कोई नहीं
आपकी बस एक हम पर हो नज़र ओ हमसफ़र।
सात जन्मों तक रहे रिश्ता ये मांगी है दुआ
बाख़ुदा मेरी दुआ में हो असर ओ हमसफ़र।
धूप हो आंधी तपिश या मौसमी तूफ़ान हो
आप जब हैं सायेबां तो क्या फ़िकर ओ हमसफ़र।
एक दूज़े पर यकीं से है सजा ये आशियां
प्यार के इसमें सजे कितने शजर ओ हमसफ़र
जब ढलेगा हुस्न जब रुख़ फ़ेर लेगा ये जहां
आपकी चाहत रहेगी क्या है डर ओ हमसफ़र।
आप आये ज़िंदगी में ज़िंदगी ग़ुलज़ार है
है नयन जाती मुहब्बत से निख़र ओ हमसफ़र।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )