कैसे हो दीदार सनम का | Deedar Ghazal
कैसे हो दीदार सनम का
( Kaise ho deedar sanam ka )
कैसे हो दीदार सनम का
पर्दे में जब प्यार सनम का
रुत मस्तानी हो और यूं हो
बाहें डालें हार सनम का
दिल दीवाना बन जाता है
ऐसा है मेआर सनम का
मीठा दर्द जगाये दिल मे
तीर लगे जब पार सनम का
दिल कहता, इज़हार न करना
जां लेगा इंकार सनम का
दिल जोरों से धड़क उठा है
आ पहुंचा है तार सनम का
फ़ैसल मांगे रब से दुआ ये
गुलशन हो गुलज़ार सनम का