प्रेम | Prem Ke Dohe
प्रेम
( Prem )
१)
प्रेम की बंसी सुमधुर,मंत्रमुग्ध करी जाए।
सुध-बुध का न पता चले,एकांत समय बिताए।।
२)
जीवन में प्रेम महान, कुछ न इसके समान।
मान सम्मान जहां मिले,वही है स्वर्ग स्थान।।
३)
नमन से नयन मिलाओ, आंखें कर लो चार।
प्रेमरोग में जो पड़े,छुट जावे संसार ।।
४)
प्रेम सरीखा रोग ना,सब रोगों का बाप।
लगते कुछ सूझत नहीं, मानों हो अभिशाप।।
५)
मां का प्रेम है सोना,जाने जग संसार।
‘मंजूर’ सेवा करना, दुआ लेना हजार।।
Good