मज़ा आ गया | Mazaa aa Gaya
मज़ा आ गया
( Mazaa aa Gaya )
था तो मुश्किल सफ़र पर मज़ा आ गया
इक मुसाफ़िर गया दूसरा आ गया
इक मुलाकात उस से हुई थी कहीं
मेरे घर वो पता पूछता आ गया
उसके आते ही लगने लगा है मुझे
वक़्त दर पर मेरे ख़ुशनुमा आ गया
लुत्फ़ ही लुत्फ़ आने लगा ज़ीस्त में
साथ जब से कोई हमनवा आ गया
मेरी तक़दीर कितनी बुलंदी पे है
ढूँढता ख़ुद मुझे रहनुमा आ गया
डस रही थी जुदाई सर-ए-शाम से
हाय सुन कर मेरी आशना आ गया
जब भी उलझन सताती है साग़र मुझे
काम उसका सदा मशवरा आ गया