रफ़ू न करना | Rafu na Karna
रफ़ू न करना
( Rafu na karna )
मेरी क़ुर्बतों के ग़म में ,कभी दिल लहू न करना
मैं जहाँ का हो चुका हूँ, मेरी आरज़ू न करना
ये यक़ीन कर तू मेरा, मैं न भूल पाऊं तुझको
कहीं दिल खराब कर के, मेरी जुस्तजू न करना
कहीं जल न जाये तेरा, इसी आग में बदन भी
मेरे ज़ख़्म खौलते हैं, इन्हें तू रफ़ू न करना
सरे-बज़्म आबरू का मेरी ध्यान रखना मोहसिन
किसी ग़ैर की नज़र में, मुझे तुम से तू न करना
बड़ी मुश्किलों से साग़र हुई है बहार हासिल
यहाँ रंजो-ग़म की कोई, कभी गुफ़्तगू न करना