देश से | Desh se
देश से
( Desh se )
हर अदू भागते ही रहे देश से
जुल्म का हर निशाँ ही मिटे देश से
लौट आये वो अपने वतन भारत में
दूर परदेश में ही गये देश से
प्यार के फूल हर घर खिले ऐ लोगों
नफ़रतों के कांटे ही जले देश से
हो न मासूम पर वार दुश्मन के ही
है दुआ दूर दुश्मन रहे देश से
नफ़रतों की न होगी आवाज़े कभी
प्यार की अब आवाजें उठे देश से
ख़ाक कर दूंगा मैं हर अदू को सभी
प्यार आज़म बहुत ही करे देश से