फूल खिलते है मेरे गांव में!

फूल खिलते है मेरे गांव में!

फूल खिलते है मेरे गांव में!

 

फूल खिलते है मेरे गांव में!

नफ़रतों की शहर में तेरे बू है

 

छाओं में खेला करते थे कंचे सब

नीम का था इक पड़े जो गांव में

 

शहर में तो है शरारे नफ़रत के

प्यार की ही है बहारें गांव में

 

गंदगी देखी  है तेरे शहर में

खूबसूरत है खेत मेरे गांव में

 

शहर से तेरे ही अच्छा है मौसम

तू कभी तो आना मेरे गांव मे

 

नफ़रतों के शहर में पत्थर लगे

लौट आया आज़म अपनें गांव में

 

✏

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

यह भी पढ़ें : 

हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *