मेरी खातिर | Mere Khatir
मेरी खातिर
( Mere khatir )
सुनो इक ख़ूबसूरत घर बनाना तुम मेरी खातिर
धनक के रंग सब उसमें सजाना तुम मेरी खातिर।
मसर्रत रौशनी एहसास से तामीर हो छत की
मुहब्बत से सनी ईंटे लगाना तुम मेरी खातिर।
वहां राजा रहोगे तुम वहां रानी रहूंगी मैं
किसी को दरमियां अपने न लाना तुम मेरी खातिर।
यकीं इक दूसरे पर हम करेंगे आख़िरी दम तक
मगर जो रूठ जाऊं तो मनाना तुम मेरी खातिर।
गमों की धूप में बन जाना मेरे सायेबां हमदम
गुलों को राह में मेरे बिछाना तुम मेरी खातिर।
कभी फीका पड़े जो रंग रुख़ का ये गुजारिश है
हटा अफसुर्दगी मुझको हॅंसाना तुम मेरी खातिर ।
गुजारिश है नयन की ये नहीं तुम छोड़ना दामन
ये बंधन सात जन्मों का निभाना तुम मेरी खातिर
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )