क्यों गले से लगाया मुझे | Kyon ki Shayari
क्यों गले से लगाया मुझे
( Kyon gale se lagaya mujhe )
ख़्वाब से जब जगाया मुझे
उसने गमगीन पाया मुझे
वो सितमगर बहुत देर तक
देखकर मुस्कुराया मुझे
कोई मंज़िल न रस्ता कोई
दिल कहां लेके आया मुझे
खुद न लैला बनी उसने पर
एक मजनूं बनाया मुझे
जब बिछड़ना जरूरी था फिर
क्यों गले से लगाया मुझे
मैं हूं नाराज़ इस बात पर
सच था क्या,क्या बताया मुझे
उसकी यादों ने फैसल बहुत
ज़िंदगी भर रुलाया मुझे