पंचम नवरात्र | Pancham Navratra
पंचम नवरात्र
( Pancham Navratra )
मां दुर्गे पंचम रूप, ममत्व अनूप महासागर
पंचम नवरात्र अद्भुत विशेष,
मां स्कंद माता परम दर्शन ।
पूजा अर्चना स्तुति शीर्षस्थ,
ममतामयी स्नेहिल स्पर्शन ।
योग परिक्षेत्र निर्वहन भवानी,
पुनीत सानिध्य सम अभिजागर ।
मां दुर्गे पंचम रूप, ममत्व अनूप महासागर ।।
उर स्थिति विशुद्ध चैतन्य,
साधना मार्ग फलन छोर ।
उपमा गौरी पार्वती माहेश्वरी ,
भक्ति शक्ति सिद्धता ठोर ।
जन वैचारिकी सकारात्मक ,
नारी जगत स्पंदन आदर ।
मां दुर्गे पंचम रूप, ममत्व अनूप महासागर ।।
जय माता दी दिव्य उद्घोष,
जन जन मंगलता संचरण ।
दुःख कष्ट मूल विलोपन,
रज रज खुशियां अवतरण ।
सूर्य मंडल अधिष्ठात्री मां,
परिपूर्ण सुख समृद्धि गागर ।
मां दुर्गे पंचम रूप, ममत्व अनूप महासागर ।।
वंदन अभिनंदन स्कंद मात,
धर्म निष्ठता अप्रतिम पथ ।
सरित प्रवाह भक्ति रस,
सफल साधकगण मनोरथ ।
ऊर्जस्वित उपासना भाव,
जीवन दिशा दशा नागर ।
मां दुर्गे पंचम रूप, ममत्व अनूप महासागर ।।
नवलगढ़ (राजस्थान)