दीवाली मन गई | Diwali Man Gai
दीवाली मन गई
( Diwali man gai )
दीपो की बारात आई तुमको अपने साथ लाई ।
खुशियों की सौगात पाई अब दीवाली मन गई ।
मेरी दीवाली मन गई ।
सुर बिना हो साज जैसे वैसे मै जीती रही ।
काम न था काज कुछ बन बांवरी फिरती रही ।
नाम जब तुमने पुकारा नींद से मानो जगी ।
द्वार पर आये हो तुम यह सोचकर उठ कर भगी ।
चंद्रमा सा रूप देखा सच है नही यह झूठ सोचा ।
तब दीवाली मन गई मेरी दीवाली मन गई ।
आंखो ने सब कुछ कहा पर मौन हम तुम रह गये ।
कुछ न सूझा कुछ न समझा जाने क्या क्या कह गये ।
पीर मन की भी उमड़कर अश्रु बनकर बह गये ।
आश पूरी हो गई अरमान पूरे हो गये
अंक में तुमने भरा जब कानों में तुमने कहा जब ।
गालो में चमकी हया तब दीवाली मन गई ।
मेरी दीवाली मन गई ।
आशा झा
दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )