अपना भारत फिर महान हो जाता
अपना भारत फिर महान हो जाता
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ऊंची मीनारों में रहने वालों
जरा रहकर इक व्रत देख लेते
एहसास हो है जाता
भूख होती है क्या?
मजलूम मजदूरों का निवाला
छीन कर खाने वालों,
एहसास हो है जाता
भूख से बिलखते बच्चों की
भूख होती है क्या?
इन बच्चों में जो देख लेते
अपना खुद का बच्चा
सच है अपना भारत
फिर महान हो जाता।
गरीब लाचार बेबस बच्चों का
हक छीन कर
अपने बच्चों को खिलाने वालों,
सोच लेते जरा
इन बच्चों का क्या होगा ?
फिर किसी गरीब के हक का
निवाला छीन कर न खाते,
सच है अपना भारत
फिर महान हो जाता।
गरीब झोपड़ियों का
चिराग बुझा
अपनी ऊंची मीनारों में
उजाला करने वालों,
देख लेते जो इन झोपड़ियों में
इक पल अपना घर
सच है इन झोपड़ियों में
अंधेरा न होता,
सच है अपना भारत
फिर महान हो जाता।
ठंड से सिकुड़ते मजलूमों के
बच्चों के कपड़े बेच कर
अपने बच्चों को ब्रांड पहनाने वालों,
जो देख लेते इन बच्चों में
अपना खुद का बच्चा,
सच है अपना भारत
फिर महान हो जाता।
गरीब, मजलूम, मजदूरों का
घर ,कॉलोनी बेचकर,
अपने आलीशान महलों में
संगमरमर लगवाने वालों,
देख लेते जो इन बेबस, लाचार, मजलूम घरों में अपना खुद का घर,
सच है अपना भारत
फिर महान हो जाता।
गरीब मजदूरों की रोटी बेचकर
काजू ,बदाम ,मेवा ,मिठाई खाने वालों
देख लेते जो इनकी भूख में
अपनी खुद की भूख ,
सच है अपना भारत
फिर महान हो जाता।
इन गरीब ,लाचार, मजलूम,मजदूरों का संपर्क सीधा भगवान से होता है।
ये दुआ और बद्दुआ में क्या-क्या दे जाते हैं चंद्र लाइन पेश करता हूं।
लाचार ,बेबस, बेसहारों ,
मजलूमों, गरीबों का हक
छीन कर खाने वाले
दे देते हैैं जो इनके
हक का निवाला,
ये दुआओं में सिर ताज
मुकुट दे जाते हैं
खा जाते हैं जो इनके
हक का निवाला,
ये बद्दुआओं में
ताज कफन दे जाते हैं।
इन चार लाइनों में पूरा सार पेश करता हूं।
हो जाता है घमंड जब जब
वो गिराते रहते हैं बार-बार,
हो जाता है तालीम परोपकार जब-जब
वो उन्हीं दुआओं में उठाते रहते हैं बार-बार।
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218