चतरू चाचा आए | Chatru Chacha Aaye
चतरू चाचा आए
( Chatru chacha aaye )
शहर बसे बेटे के घर जब ,
चतरू चाचा आए .
सहम गए थे पूत -पतोहू ,
बच्चे भी चकराए .
लगे बहू को निशिदिन ही अब ,
होगी टोकाटाकी .
नहीं रुचेंगी इन्हें गैस की ,
रोटी काची पाकी .
चूल्हा खोदे खाट बिछी ये ,
कौन इन्हें समझाए .
पोते को भी डाँट – डपट से ,
दद्दू कभी न चूकें .
फटी जीन्स को देख घृणा से ,
इस फैशन पर थूकें .
चली डेट पर पोती को ये ,
लगते हैं सठियाए .
खौफ़जदा सुत मन में सोचे ,
नहीं चले मनमर्जी .
देर रात दावत से इनको ,
रही सदा ऐलर्जी .
उठा आसमां सिर पर लें गर ,
पी- पा कर घर आए .
राजपाल सिंह गुलिया
झज्जर , ( हरियाणा )