हाड़ कपावै थर थर ठण्डी | Thandi
हाड़ कपावै थर थर ठण्डी
रचनाकार –रामबृक्ष बहादुरपुरी
रचनाकार –रामबृक्ष बहादुरपुरी
अपने और पराये ( Apne aur Paraye ) जो कल तक दोस्त थे अब वो दुश्मन बन गये हैं। जो खाते थे कसमें यारों सदा साथ निभानें की। जरा सा वक्त क्या बदला की बदल गये ये सब। और छोड़कर साथ मेरा चले गये कही और।। जो अपने स्वर्थ को तुम रखोगे जब साथ अपने।…
त्रेता सम अहसास ( Treta sum ehsaas ) कलयुग में हो रहा,त्रेता सम अहसास हिंद रज रज अति हुलसित, निहार राम मंदिर निर्माण । कल्पना भव्य साकार रूप, जनमानस स्पर्श पथ निर्वाण । बाईस जनवरी दो हजार चौबीस, सर्वत्र रामलला प्राण प्रतिष्ठा उजास । कलयुग में हो रहा त्रेता सम अहसास ।। जय श्री…
सावन में मिलन ( Sawn Mein Milan ) आ गई हुई सावन में कुछ दिनों के लिए मायके। जिया लग नही रहा मेरा अब उनके बिना यहाँ। मिलने की राह में हम बहुत व्याकुल हो रहे। करें तो क्या करें अब की मिलन हमारा हो जाये।। पिया की राह में आँखें उन्हें निहार रही है।…
जगतगुरु आदि शंकराचार्य ( Jagadguru Adi Shankaracharya ) धर्म और संप्रदाय पर जब था अंधकार का साया, तब केरल के कालडी़ मैं जन्मे महान संत| 8 वर्ष की उम्र में सन्यासी बने सबको दिया ज्ञान, कई ग्रंथ रचकर दिया सबको परम ज्ञान| सनातन धर्म स्थापित किया, अद्वैत चिंतन को पुनर्जीवित करके सनातन हिंदू धर्म…
दबी दबी सी आह है ( Dabi Dabi Si Aah Hai ) कही मगर सुनी नही, सुनी थी पर दिखी नही। दबी दबी सी आह थी, जगी थी जो बुझी नही। बताया था उसे मगर, वो सुन के अनसुनी रही, वो चाहतों का दौर था, जो प्यास थी बुझी नही। मचलते मन…
दीवाली का राम राम दीवाली के पावन पर्व पर मेरा सबको राम राम,टूटे रिश्ते भी जोड़ देती है अदृश्य इसका काम।नही लगता ख़र्चा इसमे कुछ भी न लगता दाम,दूरियां पल-भर में मिटाती बस करलो प्रणाम।। गले-मिलों वफादार-बनों समाज में बढ़ेगी शान,अमावसी अंधेरा दूर करलो खोलों ऑंख कान।हॅंसता खेलता घर लगता है तभी मन्दिर समान,खील बताशे…