हाड़ कपावै थर थर ठण्डी | Thandi
हाड़ कपावै थर थर ठण्डी
रचनाकार –रामबृक्ष बहादुरपुरी
रचनाकार –रामबृक्ष बहादुरपुरी
चंद्रयान चंद्र पर ( Chandrayaan Chandra Par ) चंद्रयान चंद्र पर पहुंचा प्यारा ध्वज तिरंगा लहराया। अधरो पे मुस्कान मोहक खुशियों का मौसम आया। राष्ट्रहिंद का विश्व पटल पर विजय शंखनाद हुआ। वैज्ञानिक उपलब्धि पाये शुभ कर्म निर्विवाद हुआ। आज वतन की रग रग में गौरव लालिमा छाई है। चंद्रयान सफल रहा मन में…
रख ( Rakh : Hindi Kavita ) खुशियो भरा पिटारा रख । दिल मे जज्बा प्यारा रख ।। तुझे अकेले चलना है । आगे एक सितारा रख ।। मन मे हो मझधार अगर । अपने साथ किनारा रख ।। धुन्धले पन के भी अंदर । सुंदर एक नजारा रख ।। दुनिया से जो भिड़ना…
दरिद्रता ( Daridrata ) सुबह सबेरे तड़तड़ाहट की आवाज कानों में पड़ते ही नीद टूटी,मैं जाग पड़ा, देखा कि लोग सूप पीट पीट कर दरिद्र” भगा रहे थे घर के कोने-कोने से आंगन बाग बगीचे से, मैं समझ न पाया दरिद्र कहां है? कौन है? भागा या नहीं! दरिद्र मनुष्य खुद अपने कर्म से…
ब्याह ( Byah ) तेरे आंगन की चिड़ियां बाबा एक दिन मैं उड़ जाऊंगी, दिखेगा चंदा सूरज तुझको पर मैं नजर ना आऊंगी। मंडप सजाया खुशियां मनाई सहरे सजें बाराती थे, वो तो तेरे दहेज के बाबुल आए बन सौगाती थे, तेरी आंखों ने सपने बुने थे गुड़ियां को ऐसे ब्याहूंगा, अपनी लाडो की…
रद्दी ( Raddi ) माना की जरूरत नहीं किसी की आपको समर्थ है स्वयं में ही खुद के प्रति तब भी आप पूर्णता में ईश्वर तो नहीं है किसी से हाथ मिलाकर के तो देखिए साथ से चलकर तो देखिए किसी के होकर तो देखिए हो जाएगा आभास आपको भी अपनी पूर्णता का सहयोग…