गर दो इजाजत | Gar do Ijazat
गर दो इजाजत
( Gar do Ijazat )
गर दो इजाजत तुम पर मर जाऊं,
शब्द बनके स्याही में उतर जाऊं !
गुनगुना सको जिसको महफ़िल में,
ऐसी कविता बन के मैं संवर जाऊं !
मेरा मुझ में कुछ भी ना रहे बाकी,
कतरा-कतरा तुझ में बिखर जाऊं !
दिल-ऐ-समंदर में डूबकर फिर मैं,
तेरी आँखों के किनारे में तर जाऊं !
अधूरी हूँ तेरे बिन, सूनी है ज़िन्दगी,
तू गर छु ले कलि से फूल बन जाऊं !!