महिलाएं | Mahilayen
महिलाएं
( Mahilayen )
महिलाएं
एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं
महिलाएं
कभी ना थकती हैं
कभी ना रूकती है
ना जाने कैसे रहती हैं
महिलाएं
आधी आबादी कहलाती हैं
महिलाएं
माथे पर शिकन तक नहीं आने देती
फिर भी रहती हैं शिकार
शोषण का
यौन अपराधों का
जैसे उस पराशक्ति ने
इन्हें ना बनाया हो
अपने हाथों से
इनके अंदर भावनाएं, सपने
ना रोपी हो
जैसे कठपुतली हो इस जगत के
महिलाएं
‘उफ़’ ना करती है कभी
जैसे बहुत खुश हो
महिलाएं
घुटती हैं खुद में इस ‘नवीन ‘दुनिया को देखकर
पर मुस्कुराती रहती हैं सन्यासियों की तरह
जैसे आंख से एक कतरा गिर जाए
तो वीरन हो जाएगा यह संसार
और सुनी हो जाए हमारी जिंदगी
उनके ना होने से
नवीन मद्धेशिया
गोरखपुर, ( उत्तर प्रदेश )