होली पर्व | Holi Parv
होली पर्व
( Holi Parv )
( 2 )
होली पर्व धर्म से निष्काम बनती आत्मा ।
होली पर्व पर धर्म से पल – पल होती विकसित आत्मा ।
होली पर्व पर धर्म से मन में समता सरसाये ।
होली पर्व पर धर्म से शुद्ध भावों के फूल खिले ।
होली पर्व पर धर्म से सुरभित बने मन का संसार ।
होली पर्व पर धर्म से जन्म – मरण होता सीमित ।
होली पर्व पर धर्म से आत्मा बनती निर्लिप्त ।
होली पर्व पर धर्म से शांत बनती चेतना ।
होली पर्व पर धर्म से अपने अन्तर मन का प्रतिकार होता हैं ।
होली पर्व पर धर्म से धर्म ध्यान करने के मजबूत बन जाते इरादे ।
होली पर्व पर धर्म है ऐसा पारस जो लोहे को स्वर्ण बना दे ।
होली पर्व पर धर्म से सुखमय हो जैसे अमृत की धारा ।
होली पर्व पर धर्म से कटती कर्मों की कारा ।
होली पर्व पर धर्म से नजदीक आता किनारा ।
होली पर्व पर धर्म से मिल जाता जो है उस पार ।
होली पर्व पर धर्म से ज्योतित होती दशो – दिशाये ।
होली पर्व पर धर्म से हो जाते निकट मोक्ष के द्वार ।
होली पर्व पर धर्म से खुल जाये बन्द पड़े जो द्वार ।
( 1 )
होली पर्व की ढ़ेरों शुभकामनाएँ-
होली पर्व पर हम निखारे
हमारी धर्म आराधना
होली पर्व पर हम करे
अपनी आत्मा का कल्याण
होली समान धर्म के रंगो से
मिले मानव जीवन को त्राण
जिन्दगी को धर्म संवारेगा
होली पर हो धर्म की साधना
आत्मा खुद को निहारेगी
धर्म ध्यान का हो क्रम रोजाना
होली समान भावना के रंगो से
निखरेगी हमारी आत्मा
होली पर्व पर शांति की तरंगों से
संवरेगी धर्म से हमारी आत्मा
होली पर इच्छाओं के अंकुश से
उजलेगी हमारी आत्मा
होली पर्व पर धर्म से कर्म मैल उतर
कर संवर जायेगी हमारी आत्मा
होली पर्व पर राग द्वेष तजकर
धर्म से निर्मल बन जायेगी हमारी आत्मा
भव – भव के बन्धन से धर्म से
पार हो जायेगी आत्मा ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)