
सांवलिया सेठ है दयालु
( Sanwaliya seth hai dayalu )
देश के कोने-कोने से जहां पर आतें है कई श्रद्धालु,
रोग-कष्ट सबका हर लेते वह सांवरिया सेठ दयालु।
विश्व प्रसिद्ध मन्दिर है वह राजस्थान-चित्तौड़गढ़ में,
जहां विराजे कृष्ण-अवतार सांवलिया सेठ कृपालु।।
जिनका सम्बन्ध बताया जाता है भक्त मीरा बाई से,
वें है गिरधर गोपाल जिनको पूजती थीं वो दिल से।
सन १८४० में भोला राम को ऐसा एक स्वप्न आया,
खुदाई के दौरान पाया उसने वह तीन मुर्ति वही से।।
जिनको इस मंदिर में सर्वसम्मति से स्थापित किया,
देखते ही देखते यह बात आग की तरह फ़ैल गया।
जहां पे मेवाड़ राज परिवार ने भव्य मंदिर बनवाया,
आगे चलकर यें जगह सांवरियासेठ से जाना गया।।
ऐसे तो यहां हर वक्त लगा ही रहता लोगों का मेला,
लेकिन ख़ास सितम्बर है जलझूलनी का वह मेला।
ख़ुद पधारकर भरा था उन्होंने नानीबाई का मायरा,
काफ़ी आस्था दूर-दूर तक जहां आते है कई चेला।।
बड़े-बड़े व्यापारी भी आज मानते बिजनेस-पार्टनर,
मुनाफे का हिस्सा चढ़ाते लाभ और वृद्धि जानकर।
पहले माथा टिकाते इस मंदिर में फिर कमानें जातें,
श्रद्धालु प्रसन्न होते अपनी मनोंकामना पूर्ण पाकर।।
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