Krishna Janmashtami Par Kavita
Krishna Janmashtami Par Kavita

घर घर बजे बधाई

( Ghar ghar baje badhai )

 

घर घर बजे बधाई
लयबद्ध——ले के पहला पहला प्यार

 

जन्मे जग के पालनहार ,मैया करे लाल से प्यार ,
नाचे गाए सब नर नार, बधाई बज रही घर-घर में।।

 

भादो कृष्ण अष्टमी आई ,नंद बाबा घर खुशियां छाई।
सखियां गावे मंगलाचार, घर-घर बंध रही बंदनवार,
शिव भी आए नंद के द्वार, दर्शन करने परवर के।।
जन्मे जग के पालनहार—-

 

हाथ हथकड़ी कंस ने डारी, कैसे निकले पहरा भारी ।
नींद में सो गए पहरेदार, झट से खुलने लगे किवार ।
होकर वासुदेव होशियार ,चल दिया सिर धर के ।।
जन्मे जग के पालनहार—-

 

रात अंधेरी बिजली चमके ,घन गरजे और दामिनी दमके।
मेघा बरसे मूसलधार ,कैसे जाऊं यमुना पार,
बहे तेज नीर की धार ,चल रहा डर डर के।।
जन्मे जग के पालनहार——–

 

वासुदेव यमुना तट आए, कृष्ण जी ने पांव लटकाए।
देव भी कर रहे जय जयकार,जन्मा विष्णु का अवतार।
करने जीवो का उद्धार, जांगिड़ आओ शरण में।।
जन्मे जग के पालनहार—–

कवि : सुरेश कुमार जांगिड़

नवलगढ़, जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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