शादी में दावत | Kavita Shadi me Dawat
शादी में दावत
( Shadi me Dawat )
शादी हो बेटा बेटी की दावत खाएं हम सब
खर्च हो मां-बाप का मजा उड़ाएं हम सब
शादी का निमंत्रण आते ही देखें तारीख प्रतिभोज
फिर मन में आता ख्याल अब तो व्यंजनों की होगी मौज
तरह-तरह के पकवान रखे वहां
फिर भी आंखें ढूंढे और नये व्यंजन कहां
मजे ले-लेकर दावत हम खाते
फिर भी उसमें नुक़्स निकालते
ये होता वो होता थोड़ा और ज़रा
बातें करते खाने में नहीं आया मजा
पर मां-बाप की सारी जमा पूंजी
वह लाया कहां से नहीं कोई आवाज गूंजी
रिश्तेदार,दोस्त,सगे-संबंधी थोड़ी तो मानवता धरो
मान बढ़ जाएगा आपका जाकर कहो खर्चा कुछ कम करो
दाल चावल सब्जी रोटी एक मीठा और सलाद
इससे ज्यादा नहीं खाना रखो होता सब बर्बाद
एक टाइम के खाने पर हमारा मन क्यों ललचा जाता
माता-पिता के बरसों की पूंजी कैसे वह कामता
बंद करो यह प्रथा मत दिखाओ झूठी शान
आओ हम सब मिलकर बढ़ाए एक दूजे का मान
अनीता सिंह
शिक्षक, वि.ख.करेली
जिला-नरसिंहपुर
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Right ✨
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