Kavita Hawai Mahal
Kavita Hawai Mahal

हवाई महल

( Hawai Mahal )

 

पानी मे लकीर बनती नही
घड़े पर पानी ठहरता नहीं
भरी हो नींद, खुली आँखों में जिनकी
उनके आगे से कोई गुजरता नहीं

खुद हि खुद मे गाफ़िल् हैं जो
दीन दुनियां से बेखबर हैं जो
पाले बैठे हैं खुद की हि समझदारी जो
उनके मुह से कोई लगता नहीं

चाहत में दो का आठ चाहिए
सबसे अव्वल ठाठ चाहिए
करने को नही रत्ती भर काम चाहिए
उनके हि दरवाजे पर बुहारी लगती नही

चाहिए आदर सम्मान भी ज्यादा
हर काम का कर लेते हैं वादा
होता नही कोई आधा
बातूनी के घर दीया जलता नही

रहिये दूर सदा इस महान हस्ती से
मिलता कुछ नही मस्ती से
गिर जाना हि होता है किश्ती से
हवा मे बस्ती बसती नहीं

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

दीवार | Kavita Deewaar

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here