कलम ही हथियार है | Geet Kalam hi Hatiyar Hai
कलम ही हथियार है
( Kalam hi Hatiyar Hai )
कल्पनाओं का सागर है, शब्दों का भंडार है।
सृजन ही शक्ति हमारी, कलम ही हथियार है।
कलम ही हथियार है
आंधी तूफानों से टकराती, लेखनी की धार है।
चेतना का दीपक जलाता, सदा कलमकार है।
ओज की हुंकार भरे, बरसे प्रीत की फुहार है।
गीत गजल छंद मुक्तक, कविता की रसधार है।
कलम ही हथियार है
दुनिया को दर्पण दिखला, भटके को राह दिखाती।
दिग्गज डोल जाते सारे, लेखनी वो असर दिखाती।
जागरण की ज्योत जगा, हर लेती वो अंधकार है।
निर्बल का सहारा हरदम, दे खुशियों का अंबार है।
कलम ही हथियार है
शब्दों के मोती अनमोल, प्रीत भरे मधुरम तराने।
काव्य कलश में झरते, बोल सुरीले मधुर सुहाने।
शारदे की पूजा निशदिन, होती वाणी की झंकार है।
भावों का सागर उमड़े, महकती गीतों की बहार है।
कलम ही हथियार है
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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