Hanuman ji kavita
Hanuman ji kavita

आजा अंजनी का लाला

 

हे पवन पुत्र हनुमान आजा, अंजनी का लाला।
रामदुलारे कष्ट मिटा जा, हे वीर बजरंग बाला।
आजा अंजनी का लाला

अष्ट सिद्धि नव निधि धारी, रोम रोम बसे राम।
रामदूत संकट मोचन, बस राम नाम ही काम।
स्वाहा स्वर्ण नगरी किन्हीं, रामभक्त मतवाला।
सौ योजन सिंधु लांघ, माता का पता निकाला।
आजा अंजनी का लाला

द्रोणगिरी पर्वत को लाए, लक्ष्मण प्राण बचाए।
श्रीराम बसे मेरे घट भीतर, सीना चीर दिखाएं।
रामनाम की माला फेरे, रामधुन रस का प्याला।
राम रसायन पीकर नाचे, झूमे केसरी का लाला।
आजा अंजनी का लाला

तन लाल वर्ण सिंदूर बिराजे, हाथ में गदा साजे।
थर-थर कांपे बैरी सेनाएं, सब भूत प्रेत डर भाजे।
साधु संत ऋषि मुनियों का, बजरंगबली रखवाला।
जहां-जहां हो राम कीर्तन, मन भाए मारुति बाला।
आजा अंजनी का लाला

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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