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रंगो का त्यौहार | Holi par Kavita in Hindi
रंगो का त्यौहार ( Rango ka tyohar ) लो आया फिर रंगो का त्यौहार, गीत खुशी के सब गावो मल्हार। पक्के रंगों से होली नहीं खेलना, गुलाल लगाकर मनाना त्यौहार।। अब ना रहा पहले जैसा हुड़-दंग, हंसी और मजाक सहने का दम। अब नहीं बजाते कोई ढोल चंग, लगे है सब इन मोबाइलों मे…
वर्तमान समझ | Vartman Samaj
वर्तमान समझ ( Vartman Samaj ) शिक्षा का विकास हुआ,समझ अधूरी रह गई पूरे की चाहत मे ,जिंदगी अधूरी रह गई बन गए हों कई भले ही महल अटारी चौबारे मुराद भीतर ही मन की,दम तोड़ती रह गई बिक गए पद,सम्मान औ प्रसंशा के मोल मे माता स्वाभिमान की,छाती पिटती रह गई सोच बदली…
मानव या दानव कर्मों से | Karma par Kavita
मानव या दानव कर्मों से ( Manav ya danav karmo se ) अच्छाई के पथ पर चलते वो मानवता होती है। लूटमार चोरी अन्याय कर्मों से दानवता होती है। मानवता आदर्श दिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम। धर्म निभाया रामचंद्र ने करुणा सिंधु हो निष्काम। दशानन दंभ में झूमा जब बढ़ा धरा पे पापाचार। दानवता ने…
याद तेरी जब आती है | Poem yaad
याद तेरी जब आती है ( Yaad teri jab aati hai ) मन के जुड़ते तार सभी, दूरियां मिट जाती है। मधुर मधुर दुनिया लगती, याद तेरी जब आती है। खुल जाता किस्मत ताला, सारी बातें उर भाती है। स्वर संगीत सुहाता लगता, याद तेरी जब आती है। मधुर बरसता सावन लगता,…
निभाए तो कैसे, कौन-सा रिश्ता?
निभाए तो कैसे, कौन-सा रिश्ता? गुलिस्तां जो थे सुनसान हो गए।पंछी पेड़ों से अनजान हो गए॥ आदमी थे जो कभी अच्छे-भले,बस देखते-देखते शैतान हो गए॥ सोचा ना था कभी ज़ख़्म महकेंगे,गज़लों का यू ही सामान हो गए॥ निभाए तो कैसे, कौन-सा रिश्ता?दिल सभी के बेईमान हो गए॥ पूछते हैं काम पड़े सब हाल मियाँ,मतलबी अब…
लंगूर के मुँह में अंगूर | Langoor ke Muh mein Angoor
“लंगूर के मुँह में अंगूर” एक बंदे ने शायर दोस्त को घर पर बुलाया , अपनी निहायती खूबसूरत बीवी से मिलाया। दोस्ती पक्की है बीवी को एहसास दिलाया , शायरी में ही अपने दोस्त का परिचय बताया। सुनो मेरा दोस्त एक मल्टीटैलेंटेड कलाकार है , शायरी कविता का इस पर शुरू से भूत सवार…