है तेरी रहमत ग़ज़ब | Hai Teri Rahmat Gazab
है तेरी रहमत ग़ज़ब
( Hai teri rahmat gazab )
है गज़ब की शान तेरी है तेरी रहमत गज़ब
मेंरे मौला तेरी अज़मत है तेरी ताकत ग़जब।
है अजब ये बात की मैं उफ़ भी कर दूं तो क़हर
और उससे क़त्ल होकर भी मिले राहत ग़जब।
दे रहा था हक़ मेरा मुझको मगर ख़ैरात सा
कर दिया इंकार जागी जब मेरी ग़ैरत ग़ज़ब।
वो मेरे पहलू में बैठा क्या कहूं जब बज़्म में
उड़ गई कुछ ख़ास चेहरों की वहां रंगत ग़जब।
जब तलक थी मैं तलबगारों में वो मग़रूर था
बेरुख़ी पर अब मेरी राग़िब हुआ हैरत ग़जब।
बैठ कर शब भर जलाता वो रहा सब ख़त मेरे
करने को तर्क-ए -तअल्लुक़ या ख़ुदा ज़हमत ग़जब।
इस तरह यादों में गुम हर वक्त दिल उसके नयन
ख़ल्वत-ओ- जल्वत लगे सब एक से हालत ग़जब।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )