बेवफ़ाई किसलिए | Bewafai Shayari
बेवफ़ाई किसलिए
( Bewafai kis Liye )
बेवज़ह ये बेवफ़ाई किसलिए
इश्क़ की शम्मा बुझाई किसलिए।
दिल हमारा कैद में जब रख लिया
दे रहे हो फ़िर रिहाई किसलिए।
जानते हैं असलियत हम आपकी
हमसे आख़िर पारसाई किसलिए।
हिज़्र ही हासिल फ़कत इसमें हुआ
कर रहे हम आशनाई किसलिए।
याख़ुदा बेख़ौफ़ हैं मुजरिम यहां
तू बता तेरी खुदाई किसलिए।
आप तो हमराज़ कहते थे मुझे
बात फ़िर हमसे छिपाई किसलिए।
लिख रही हूं हाल दिल का खून से
आप लाए रोशनाई किसलिए।
हो गये बर्बाद हम अब छोड़िए
हौसला- ए -आफ़जाई किसलिए।
बात जब सुनता नहीं कोई नयन
दे रही हो फ़िर सफ़ाई किसलिए
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )