पिता का महत्व | Kavita Pita ka Mahatva
पिता का महत्व
( Pita ka Mahatva )
माता होती है धरती सम,
तो पितु होते हैं आसमान।
माता देती है हमें ठौर,
तो पितु करते छाया प्रदान।।
अंदर ही अंदर घूंटे पर,
नयनों में नीर नहीं लाते।
कुछ भी तो नहीं हुआ कहकर,
हैं वे नित ऐसे मुस्काते ।।
एक पितु स्वयं दुख सहकर के ,
परिवार को खुशी देते हैं ।
अकेले पूरे परिवार का ,
बोझ ऐसे उठा लेते हैं।।
जग में किसी भी परिवार का,
वास्तविक नायक पिता ही हैं।
जिस परिवार में सलामत पितु,
वह शान लिए जीता ही है।।
करते हैं कठोर से कठोर,
एक पितु परिश्रम का नित काम।
सोचकर कि संतान करेंगे,
एक दिन रोशन मेरा नाम।।
दर्दे हिय फट जाता है जब,
उठती है बेटी की डोली।
हिय थामें चुप रह जाते हैं,
मुंह से न निकले हैं बोली।।
बस बेटी का घर बस जाए,
खुद को भी बेच डालते हैं।
इतना प्यार अपने हृदय में ,
बेटी के लिए पालते हैं।
पिता भी बच्चों के लिए हैं,
ईश्वर का अनमोल वरदान।
पिता तो बच्चों की जान है,
पितु से ही बच्चों का जहान।।
ईश्वर की मूर्ति पिता जग में,
पुरुषों का साक्षात् भगवान।
जो पुरुष करे पिता की भक्ति,
मिलें उसे प्रभु भक्ति वरदान।।
रचयिता – श्रीमती सुमा मण्डल
वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
नगर पंचायत पखांजूर
जिला कांकेर छत्तीसगढ़