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पूर्ण विराम अंत नहीं | Kavita Purn Viram

पूर्ण विराम अंत नहीं

( Purn Viram Ant Nahi )

 

पूर्ण विराम अंत नहीं, नए वाक्य की शुरुआत है

सकारात्मक सोच प्रशस्त,
नवल धवल अनुपम पथ ।
असफलता अधिगम बिंदु,
आरूढ़ उत्साह उमंग रथ ।
आलोचनाएं नित प्रेरणास्पद,
श्रम साधना उत्तर धात है ।
पूर्ण विराम अंत नहीं, नए वाक्य की शुरुआत है ।।

तज नैराश्य निम्न विचार,
अंतर प्रज्वलन लक्ष्य ज्योत ।
बाधाएं सदा अवसानित,
आत्मविश्वास परम मैत्री श्रोत ।
शोधन उन्नत विगत त्रुटियां,
प्रति प्रश्न घट उत्तर व्याप्त है ।
पूर्ण विराम अंत नहीं, नए वाक्य की शुरुआत है ।।

हर मनुज प्रतिभा पुंज,
शक्ति भक्ति अथाह भंडार ।
अथक श्रम अनवरत प्रयास,
कल्पना प्रदत्त मूर्त आकार ।
समर्पण युक्त कार्य शैली,
सदा विजय भव प्रपात है ।
पूर्ण विराम अंत नहीं, नए वाक्य की शुरुआत है ।।

धर अधर सौम्य मुस्कान,
बन अर्जुन सम दृष्टि पर्याय।
मिटा कर पराजय कलंक,
लिख नूतन स्वर्णिम अध्याय ।
परिश्रम परिणाम मधुर मोहक,
जीवन निरुपमा नित्य कांत है ।
पूर्ण विराम अंत नहीं, नए वाक्य की शुरुआत है ।।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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