उठे जब भी कलम
उठे जब भी कलम
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मजबूत नींव का भरोसा चाहिए ( Majboot neev ka bharosa chahiye ) कमजोर नींव पर बना मकान टिकता नहीं है माल रद्दी हो तो मुफ्त में भी बिकता नहीं है। टिकने या बिकने के लिए भरोसेमंद होना जरुरी है- तभी उसके प्रति लोग आकर्षित होते हैं, कभी कभी तो मुंहमांगी कीमत देते हैं। बनिए भरोसेमंद…
कलम तुम्हें मरने ना देंगे ( Kalam tumhe marne na denge ) जब तलक जिंदा है हम, कलम तुम्हें मरने ना देंगे। उजियारे से अंधकार में, कदम तुम्हें धरने ना देंगे। उठो लेखनी सच की राहें, सत्य का दर्पण दिखाओ। कलमकार वाणी साधक, सृजन का दीप जलाओ। चंद चांदी के सिक्कों में, हम धर्म…
कुछ नहीं कहते कुछ नहीं कहते, मगर आँखें बयां कर जाती हैं,हर ख़ामोशी में कई बातें छुपा जाती हैं। लब खामोश हैं, पर दिल की आवाज़ सुनो,कुछ हकीकतें, बस निगाहों से सजा जाती हैं। मुस्कुराहटें चुपके से छलक पड़ती हैं,ग़म की बारिशें दिल में दबा जाती हैं। चाहत है, इज़हार करें या ना करें,ये आँखें…
दबी कुचली हुई कलम ( Dabi kuchli hui kalam ) दबी कुचली हुई कलम, कभी असर दिखा देगी। पीर गर बना सैलाब, सिंहासन सारा हिला देगी। कलम का काम चलना है, मशाल बनकर जलना है। दर्द दुनिया का स्याही, कागज पे शब्दों में ढलना है। आहत जो कलम हुई, कभी खड़ा तूफान हो जाता।…
राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर ( Rashtriya kavi Ramdhari Singh Dinkar ) मैं दिनकर का अनुयायी हूं ओज भरी हुंकार लिखूं। देशभक्ति में कलम डुबती कविता की रसधार लिखूं। अन्नदाता की मसीहा लेखनी भावों की बहती धारा। शब्द शिल्प बेजोड़ अनोखा काव्य सृजन लगे प्यारा। शब्द जब मिलते नहीं भाव सिंधु…
राम हे राम मेरे राम राम हे राम मेरे राम तुम आओ म्हारे घर में मेरे भाग खुल जाए तुम आओ म्हारे दिल में मेरा जीवन सफल हो जाए राम हे राम मेरे राम मैं डुबा हूं इस जीवन में मुझे तो तारो राम औरों को तारा मुझे भी निकालो मेरे राम राम हे राम…