मजबूत नींव का भरोसा चाहिए
मजबूत नींव का भरोसा चाहिए

मजबूत नींव का भरोसा चाहिए

( Majboot neev ka bharosa chahiye  )

कमजोर नींव पर बना मकान टिकता नहीं है
माल रद्दी हो तो मुफ्त में भी बिकता नहीं है।
टिकने या बिकने के लिए भरोसेमंद होना जरुरी है-
तभी उसके प्रति लोग आकर्षित होते हैं,
कभी कभी तो मुंहमांगी कीमत देते हैं।
बनिए भरोसेमंद
बनिए हुनरमंद
आपके चाहने वाले ढ़ूंढ़ ही लेंगे
कीमत के प्रति आंखें मूंद ही लेंगे।
यही बिकता है
यही टिकता है
आपका विश्वास ही उनको चाहिए,
बस यह विश्वास बना रहना चाहिए।
यही रिश्ता टिकाऊ होता है,
वरना इस आर्थिक युग में तो हर चीज बिकाऊ है,
पर किंचित न टिकाऊ है।
बिकाऊ से बचिए,
विश्वास बनाए रखिए।
खरीदने से पहले परखिए,
मकान से पहले नींव देखिए।
खाने से पहले चखिए,
रिश्ता करने से पहले गरीब रिश्तेदारों से मिलिए।
वही सच बयां करेंगे,
सारी हकीकत सामने ला खड़ा करेंगे।
दादा/नाना के घर जाइए,
उनसे महत्वपूर्ण जानकारी पाइए।
तब जाकर कीजिए कोई रिश्ता,
यही लोग हैं फरिश्ता ।
वरना आगे पछताना पड़ेगा,
घुट घुटकर रिश्ता निभाना पड़ेगा;
दिन-रात भय में बिताना पड़ेगा।
भरोसेमंद ना लगे तो छोड़ दें,
बढ़े कदम पीछे खींच लें
इसी में समझदारी है
होशियारी है,
वरना समस्या आने वाली भारी है।
सदैव सचेत रहेंगे,
तो परेशानी में कम पड़ेंगे।
यही जीवन दर्शन है,
बाकी सब माया मोह का आकर्षण है।

 

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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