शिक्षक न होते | Shikshak na Hote
शिक्षक न होते
( Shikshak na hote )
शिक्षक ना होते तब क्या होता ?
ये सुंदर , सभ्य संसार ना होता ।
होने को सब कुछ होता पर ,
विज्ञान का विस्तार ना होता ।
फूल भी होती , बाग भी होता ,
पर वो खुशबूदार ना होता ।
शिक्षक से ही सुगंध है जग में,
इतना कार्य – व्यापार ना होता ।
जुनून भरते , हौंसला बुलंद करते ,
हमारा सज्जन – सा व्यवहार ना होता ।
शिक्षक है तो सम्मान है सबका ,
खुशहाल , मृदुभाषी परिवार ना होता ।
रवीन्द्र कुमार रौशन “रवीन्द्रोम”
भवानीपुर, सिहेंश्वर, मधेपुरा , बिहार