यह भी कोई बात हुई

यह भी कोई बात हुई Yeh Bhi koi Baat Hui

यह भी कोई बात हुई

( Yeh Bhi koi Baat Hui )

कुछ तो बोलो जान-ए-राह़त यह भी कोई बात हुई।
तोड़ गए तुम अ़ह़्द-ए-उल्फ़त यह भी कोई बात हुई।

एक ज़रा सा दिल क्या टूटा राहे मुह़ब्बत में दिलबर।
भूल गए तुम नाज़ो नज़ाकत यह भी कोई बात हुई।

मिलते तो हो हम से लेकिन दिल से तुम कब मिलते हो।
रखते हो सीने में क़ुदूरत यह भी कोई बात हुई।

बिन ह़ाजत भी आया कीजे मिलने-जुलने को हम से।
आते हो बस वक़्ते ज़रूरत यह भी कोई बात हुई।

बे-सोचे समझे ही तुम ने दम भर में ऐ जान-ए-जां।
कर दी मेरे प्यार की दुरगत यह भी कोई बात हुई।

बढ़ता हूं तो बढ़ने दो तुम रोक रहे हो क्यों रस्ता।
तोड़ रहे हो मेरी हिम्मत यह भी कोई बात हुई।

बात कभी तो मानो दिलबर चुप भी रहना सीखो तुम।
करते हो हर बात पे ह़ुज्जत यह भी कोई बात हुई।

इक झूठे ख़ब्ती के डर से हाय फ़राज़ आख़िर तुम भी।
छोड़ रहे हो राहे सदाक़त यह भी कोई बात हुई।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़

पीपलसानवी

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