दिल तो दिल है

( Dil to Dil Hai )

 

चुभा हुआ है जो काँटा निकल भी सकता है
ये दर्दनाक सा मंज़र बदल भी सकता है

निज़ाम और भी चौकस बना दिया जाये
तो हादसा कोई होने से टल भी सकता है

इशारा देखिए हाकिम के आप लहजे का
वो सारी भीड़ को पल में कुचल भी सकता है

ख़बर उरूज़ की अपनी दबा के यूँ रख्खी
ये बात सुन के कोई अपना जल भी सकता है

हमारे दिल से सदा आ रही है रह – रह कर
इरादा आपका पल में बदल भी सकता है

ये बार बार न आओ झटक के दामन तुम
कि दिल तो दिल है किसी पल मचल भी सकता है

इसी उमीद पे मैं चल दिया हूंँ ऐ साग़र
जो हमनवा है मेरे साथ चल भी सकता है

 

Vinay

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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