हो रही है | Ho Rahi Hai
हो रही है
( Ho Rahi Hai )
कहीं उल्फ़त ही उल्फ़त हो रही है।
कहीं नफ़रत ही नफ़रत हो रही है।
कहीं आराम से सोते हैं लीडर।
कहीं मेह़नत ही मेह़नत हो रही है।
उन्होंने ह़ाल क्या पूछा हमारा।
मुसर्रत ही मुसर्रत हो रही है।
न रोटी है न पानी है न बिजली।
मशक़्क़त ही मशक़्क़त हो रही है।
मुह़ब्बत को ख़ुदा जाना है जब से।
मुह़ब्बत ही मुह़ब्बत हो रही है।
इ़बादत के इ़वज़़ मज़हब पे भी अब।
सियासत ही सियासत हो रही है।
तरक़्क़ी से उन्हें मतलब नहीं कुछ।
ह़ुकूमत ही ह़ुकूमत हो रही है।
ख़ुदा जाने के कब सुधरेंगी सड़कें।
मरम्मत ही मरम्मत हो रही है।
चले हैं जब से वो पहलू बा पहलू।
ज़राफ़त ही ज़राफ़त हो रही है।
फ़राज़ आई हैं जब याद ह़ूरें।
इ़बादत ही इ़बादत हो रही हैं।
पीपलसानवी
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