मैं और मेरे श्रोता

Hindi Kavita | Hindi Poem| Hindi Poetry -मैं और मेरे श्रोता

मैं और मेरे श्रोता

( Main Aur Mere Shrota )

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जी भर के मुझ को देखो

थोड़ा सा मुस्कुराओ

हम सामने तुम्हारे

पलके झुका रहे है

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दिल में उतरने का

 वादा जो कर रही हूँ

तुमसे भी लूंगी वादा

दिल में बसाये रखना

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एसी बातो से ना

हमको निराश करना

हम गीत जब भी गाये

संग तुमभी गुनगुनाना

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आँखो से आँसुओ को

इसपल हटाके रखना

लब पे उजाले रखकर

ये कँवल यूँही खिलाना

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तुम यूँ ना जाने दोगे

ये भी मैं जानती हूँ

अपने शहर से मुझको

खाली ना जाने दोगे

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देकर दुआए तुमको

वापिस भी माँगती हूँ

जितनी पास मेरे

सब तुमको बाँटती हूँ

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एसे ही मुझको अपनी

जिन्दगी समझना

कभी फुरसत में हमको

फिर से यहीं बुलाना

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मेरा नमन है तुमको

चरणों में पुष्प सारे

 खुशीयाँ तुम्हारे सदके

नजरो से दे रही हूँ

??


डॉ. अलका अरोड़ा
“लेखिका एवं थिएटर आर्टिस्ट”
प्रोफेसर – बी एफ आई टी देहरादून

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