कविताएँBhojpuri Vyang | प्रधानी March 15, 20217220 ShareWhatsAppReddItFacebookTwitterPinterestTelegramViber प्रधानी प्रधानी( Pradhani ) 1गउंआ भा लंका बजा जब डंका फोन गईल घर से राजधानीआवा हो भैया कन्हैया भी आवा भौजी लड़े अबकी प्रधानी ….. आवा हो भैया….2आपन सीट जुगाड़ भी फीटकरें मनमानी जो देवई पीट चले नहीं मर्जी नहीं वोट फर्जी होय ना देबई अबकी बेईमानी ….. आवा हो भैया…3 दारू मुर्गा और बाटब साड़ी बाटी खियाउब पियाउब ताड़ी नोट से वोट खरीद केखूब लड़े अबकी मर्दानी ….. आवा हो भैया…4छपा तब पर्चा बढ़ा तब खर्चा होई लगी तब गाँव में चर्चा वोटर सपोर्टर सब घूमे फिरेजयकारा लगावे जय हो भवानी….. आवा हो भैया….5 मिला निशान किसान ओसावेघर घर भौजी और भैया चिन्हावेसाथ में हाथ धरे तब घूमे देखी राखी भैया के पानी… आवा हो भैया…. 6वोट पड़ी खूब नोट लड़ी मतदाता के मन में खोट बड़ी मतदाता का हाल विधाता न जानेजीत रही अब कौन निशानी …आवा हो भैया….7 शुरू मतगणना गणना बा जारीदस वोट से भौजी गई तब हारी देखि के हाल वेहाल बा भौजी “रूप” के आखों में आये भी पानी…..आवा हो भैया…..कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”औराई, भदोही( उत्तर प्रदेश।)यह भी पढ़ें :Bhojpuri Vyang नेतागिरीRELATED ARTICLESMORE FROM AUTHOR कविताएँमन तो मन है | Kavita Man to Man Hai कविताएँओम प्रकाश लववंशी की कविताएं | Om Prakash Lovevanshi Hindi Poetry कविताएँपतझड़ में होती, रिश्तों की परखLEAVE A REPLY Cancel replyPlease enter your comment! Please enter your name here You have entered an incorrect email address!Please enter your email address here Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ