Bhojpuri Vyang | प्रधानी
प्रधानी
( Pradhani )
( Pradhani )
कवियित्री महादेवी वर्मा ( Kavayitri Mahadevi Verma ) विद्यार्थी-समय से काव्य में प्रतिष्ठा पानें लगी आप, साहित्य-संगीत, चित्रकला में पहचान बनाई आप। गुलामी व आज़ादी के दिनों पर रची रचनाएं ख़ास, हिंदी विशाल मन्दिर की सरस्वती कहलायी आप।। आज हिंदी में सबसे सशक्त कवयित्रियों में ये नाम, जिससे इन्हें जानते है आधुनिक मीरा के…
कितनी मजबूर बेटियां ( Kitni majboor betiyaan ) कितनी !मजबूर बेटियां दंरिदगी को झेलती शर्मिंदगी से गुजरती लहूलुहान होती हैं ये बेटियां करके निर्वस्त्र नोचते हैं छातियां देते हैं गालियां कितनी! बेबस लाचार बेटियां रोती बिलखती हाथ जोड़ती देकर दुहाई इंसानियत की चीखती हैं बेटियां जिस्म ही नहीं रुह भी घायल दंश हैवानियत के…
गूंजता दरबार मां का आज जय जयकारों से ( Gunjata darbar maa ka aaj jay jayakaaron se ) है गूंजता दरबार मां का, आज जय जयकारों से। दुष्ट दलनी अंबे महागौरी, शेरावाली के नारों से भर देती भंडार माता, भक्तों की सुनती पुकार। रक्षा करती दुर्गा रणचंडी, सब बैरियों गद्दारों से। है गूंजता…
विश्वगुरु भारत ( Vishwa Guru Bharat ) वो सोने की चिड़िया मेरी अब शेरो सी दहाड़ रही है, अपने दम पर अकेले दुनियां को पछाड़ रही है। स्वदेशी अपना कर हमने विदेशी को भगाना है, अब अपनी मातृभूमि मिट्टी की ताकत को संसार को दिखाना है। दुश्मन तो आजकल हमारे बस नाम से कांप…
संस्कृति नेह का ( Sanskrti neh ka ) हिंद संस्कृति नेह का,मृदुल मधुर अहसास निज संस्कृति अनन्या धरोहर, नैतिक कर्तव्य वंदन संभाल । अंतर अथाह प्रेम भाईचारा, आभा अनूप नागरिक भाल । गंगा सदृश पुनीत पावन, दर्शन धर्म कर्म उल्लास । हिंद संस्कृति नेह का,मृदुल मधुर अहसास ।। शीर्षस्थ स्वर्णिम इतिहास , भव्य गौरव…
झूठ की दौड़ ( Jhoot ki daud ) झूठ के मुरब्बों में मिठास तो बहुत होती है किंतु,देर सबेर हाजमा बिगड़ ही जाता है झालर मे रोशनी,और कागजी फूलों की महक जैसे…. हमाम मे तो नंगे होते हैं सभी बाहर मगर निकलते कहां हैं दाल मे नमक बराबर ही हो तो अच्छा शक्कर बराबर…