कुछ जाने अनजाने रिश्ते | Kavita
कुछ जाने अनजाने रिश्ते
( Kuch jaane anjaane rishte )
कुछ जाने अनजाने रिश्ते,
कुछ दिल से पहचाने रिश्ते।
कुछ कुदरत ने हमें दिया है,
कुछ हमको निभाने रिश्ते।
रिश्तो की पावन डगर पर,
संभल संभल कर चलना है।
सदा लुटाना प्यार के मोती,
संस्कारों में हमें ढलना है।
माता पिता गुरु की सेवा से,
होता सदा कल्याण हमारा।
दीन हीन रोगी की सेवा कर,
बदलती किस्मत की धारा।
कुछ रिश्ते बन जाते प्यारे,
जीवन पथ पर चलते चलते।
अपनापन अनमोल पाकर,
नित्य निरंतर फूलते फलते।
कहीं दोस्ती याराना या,
होता अनजाना सा रिश्ता।
रक्त के रिश्तो से भी प्यारा,
लगता प्यारा सुहाना रिश्ता।
पशु पक्षी बेजुबानों से भी,
बन जाता अटूट रिश्ता।
बहुत प्रिय लगता हम सबको,
कुछ जाना अनजाना रिश्ता।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )