निबंध: इंटरनेट द्वारा प्रभावित समाज, समृद्ध भारतीय संस्कृति के लिए किस तरह खतरनाक है
निबंध: इंटरनेट द्वारा प्रभावित समाज, समृद्ध भारतीय संस्कृति के लिए किस तरह खतरनाक है
( Essay in Hindi on : How Internet-influenced Society, Dangerous for rich Indian Culture )
इंटरनेट को सूचना प्रौद्योगिकी की जीवन रेखा भी कह सकते हैं। इंटरनेट की वजह से एक नई क्रांति पैदा हो गई है। इसकी वजह से दुनिया सही मायने में ग्लोबल विलेज की कल्पना को साकार की है।
पूरा ब्रह्मांड, पूरी दुनिया सिमट कर कुछ व्यक्ति और समाज के नियंत्रण में काफी हद तक आ गई है। आज घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया से वार्तालाप किया जा सकता है।
सूचना समाज एक ऐसा समाज समझा जाता है जिसमें अधिकांश श्रमिक सूचना के उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण और बिक्री में लगे रहते हैं।
आज के समय में सूचना एक वस्तु बन गई है। सूचना समाज के किसी भी स्त्रोत तक पहुंचने के लिए एक इकाई प्रदान करती है। यह तकनीकी सही मायने में कानून द्वारा गारंटीकृत है।
समाज के विकास का स्तर मापने का मापदंड इस बात से देखा जाता है कि कंप्यूटर की संख्या, इंटरनेट कनेक्शन की संख्या, मोबाइल और लैंडलाइन की संख्या कितनी है?
विशेषताएं
समाज में सूचना ज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी का बढ़ना, सूचना प्रौद्योगिकी संचार और सूचना उत्पादों व सेवाओं के उत्पादन में लगे लोगों की संख्या में बढ़ोतरी, सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ती हिस्सेदारी, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट के साथ पारंपरिक और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग बढ़ना।
एक वैश्विक सूचना स्थान का निर्माण जो लोगों के बीच प्रभावी सूचना के साथ विश्व सूचना संस्थाओं तक पहुंच हो तथा सूचना उत्पादों व सेवाओं के लिए आवश्यक चौकी संतुष्ट करता हो।
इन सभी तथ्यों से अवगत आज की आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी है, जो विश्व की समाज व्यवस्थाओं के साथ ही विविधता के साथ युक्त है।
और भारतीय समाज को भी प्रभावित करने की क्षमता रखती है। सामाजिक व्यवस्था पर इसका सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक सी बात है।
आज परंपरागत सामाजिक मान्यताओं पर जहां प्रहार हो रहा है, वही समाज के राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक और सांस्कृतिक ताने-बाने सहित संरचनात्मक व्यवस्था भी काफी हद तक इससे प्रभावित हो रही है।
समाज के वर्तमान पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के निर्माण हेतु संचार साधनों का भारतीय समाज और संस्कृति पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का वैज्ञानिक व स्वच्छ माध्यम बनाया जा रहा है।
विश्व के विकसित राष्ट्र प्रौद्योगिकी की आधुनिक प्रतिस्पर्धा में कीर्तिमान बनाए हुए हैं। वह भी इस प्रभाव से आज चिंतित हैं।विश्व कल्याण एवं मानवतावादी विचार एक बार पुनः इस क्षेत्र में गंभीर सोच के लिए प्रेरित कर रहा है।
नवीन सूचना तंत्र एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग की वजह से मानवीय संबंधों समाज के विभिन्न वर्गों व समुदायों के बीच अंतर संबंध भी सकारात्मक और नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहे हैं।
21वीं सदी के आधुनिक युग में समाज के दूरदराज क्षेत्र में रहने वाले लोग और आदिवासी लोग आज इन संसाधनों से विमुख नहीं है। संपूर्ण मानव जीवन में आज सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों का महत्वपूर्ण योगदान है।
आज के समय में सूचना तकनीकी शिक्षा में नैतिकता की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। सूचना तकनीक और ऑनलाइन सूचनाओं के आदान-प्रदान के क्षेत्र में भारत ने अपने एक विशिष्ट पहचान बना ली है।
लेकिन इसके बावजूद हम यह कह सकते हैं कि भारत को अभी भी सूचना क्रांति क्षेत्र में सफलता के लिए एक लंबी दूरी तय करना बाकी है। इसके लिए नैतिकता को प्रोत्साहन देना बेहद जरूरी है।
यह सच है कि कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल ने लोगों के बीच की दूरियां को कम किया है।लेकिन इसका नतीजा कही न कहीं नैतिकता में कमी भी दिखा रहा है।
इस क्रांति ने दुनिया को मुट्ठी में भले ही कर लिया है, लेकिन बहुत कुछ उजागर करके आज के किशोर और युवा पीढ़ी को भी यह भ्रमित भी कर रहा है। नतीजा यह कि युवाओं में अमर्यादित आचरण देखने को मिलता है।
सूचना तकनीकी के इन नए आविष्कारों के बगैर संपर्क व संवाद की कल्पना नहीं की जा सकती है। कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल ने दूरियों को कम कर दिया है। नतीजा बाजार तंत्र काफी फला फुला है।
बाजारू मानसिकता बढ़ गई है और उपभोक्तावादी संस्कृत में अचानक से वृद्धि हुई है। दूरियां मिटाने वाले सूचना एवं संचार की इस क्रांति में कुछ ऐसी दूरियां बढ़ाई है जो एक तरह से लोगों को भटकाव की तरफ ले जा रही है।
खासकर के युवा पीढ़ी को ऐसे में इन संसाधनों के प्रयोग के वक्त नैतिकता का विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी है। ऐसे में यह बेहद आवश्यक हो जाता है कि इंटरनेट का उपयोग समाज के उत्थान के लिए किया जाना चाहिए न कि अनजाने में पतन के लिए।
लेखिका : अर्चना यादव
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