मधु-मक्खी | Madhumakhi par kavita
मधु-मक्खी
( Madhumakhi )
मधु-मक्खी की महानता …..|
1.सौ शहर-सौ खेत गई, सौ कलियों से मुलाकात हुई |
साथ मे लाखों साथी लेकर, सौ गलियों से शुरुवात हुई |
मुख मे मधुरस भरकर, पहुँच गई अपने ठिकाने मे |
दिन-रात मेहनत करती, लगती हैं शहद जुटाने मे |
मधु-मक्खी की महानता …..|
2.फूलों से मीठी बातें करतीं, करतीं सौदा खरा खरा |
बातों के बदले रस लेतीं, पोषक तत्वो से भरा-भरा |
रस ले जाकर संजोकर रखतीं, जाली दार छत्ते मे |
रस से शहद तैयार होती, गाढी मीठी कुछ हफ्तों मे |
मधु-मक्खी की महानता …..|
3.कमाल की कारीगरी होती, मधु-मक्खियों के अन्दर |
छत्ते का ढ़ान्चा बुनकर, लटकाने का अन्दाज सुन्दर |
रस को रख उन छिद्रों मे, क्या जादुगरी सी करती हैं |
वर्षों तक गुणकारी रहती, जाने क्या गुणवत्ता भरती हैं |
मधु-मक्खी की महानता …..|
4.हुकुम चलाती रानी मक्खी, सब सुन पालन करतीं |
बना शहद अहसान करें, हम सब पर न्योछाबर करतीं |
शहद निचोड कर छत्ते से, औषधियो मे प्रयोग करें |
मोम बनाकर छत्ते मे से, उसका भी उपयोग करें |
मधु-मक्खी की महानता …..|
कवि : सुदीश भारतवासी