Pati patni par kavita
Pati patni par kavita

पति-पत्नी

( Pati patni )

 

 

लिखा है लेख यही ईश्वर ने हमारा,

सोचकर बनाया है ये रिश्ता प्यारा।

कहा जन्में हम‌ और कहा पर तुम,

फिर भी इतना प्यार है यह हमारा।।

 

 

जीवन का डोर ये बंध गयी है ऐसे,

सात फेरों का सारा खेल यह जैसे।

पति और पत्नी कहलाएं फिर हम,

सात जन्म का साथ निभाऍंगे हम।।

 

 

यह एक प्रण निकाल देता जीवन,

कभी नहीं लाऍं गलत विचार मन।

घर-परिवार रिश्ते पत्नी सब छोड़े,

प्रीत लगाकर यह मुहब्बत में हारे।।

 

 

दुःख और सुख का जैसे है जोड़ा,

दिन और रात का मिलन है थोड़ा।

पति और पत्नी का ऐसा ही प्यार,

दिनों-दिन बढ़ता है होता न थोड़ा।।

 

 

कमाकर‌ घर पर सब लाते है पति,

बनाकर-पकाकर खिलाती पत्नी।

पति-पत्नी का ऐसा समर्पण भाव,

निभाते रहें है वर्षों से यह स्वभाव।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

 

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